आज मैं बात करने जा रहा हूँ भारतीय चुनाव आयोग के सहयोग कि जो मुझे मिली है, और शायद ही किसी को इतनी आसानी से और मुफ्त में मिलती है. मैं बात कर रहा हूँ चुनाव आयोग के द्वारा दिए गाए पहचान पत्र की. बड़े ही अरमानों के साथ मैंने भी अपना नाम वोटरों की लिस्ट में जुड़वाया. और अन्तो गत्वा वो समय आ ही गया जब मेरा फोटो लिया गया पचन पत्र बनाने हेतु. कुछ समय बीते, मैंने भी शीलता से इन्तेजार किया और फिर मुझे मिला मेरा पहचान पत्र. जो ये साबित करता की मैं अब बालिग़ हूँ और अपना वोट डालने के लिए पूरी तरह सही हूँ.
जब मेरा पहचान पत्र मिला तो मैंने काफी आशा से उसे देखा. "हैं! ये क्या मेरे पहचान पत्र ने मेरी पहचान ही बदल दी है....., मुझे पुरुष से महिला बना दिया......." लिंग परिवर्तन के ऑपरेशन के बारे में मैंने तो सुना ही था. मगर ये बिना ऑपरेशन का लिंग परिवर्तन पहली बार देख रहा हूँ. क्या बताऊँ कैसा-कैसा महसूस कर रहा था मैं. बताइए तो! ऐसा भी कहीं होता है. एक अजीब सा व्यंग मेरे मन में आ रहा था कि चलो कोई बात नहीं सरकार ने मुझे महिला बना ही दिया है; और अब तो ये सत्यापित भी होता है कि सरकारी रूप से मैं महिला हूँ. तो मुझे महिलाओं के सारे आरक्षण मिलने चाहियें. "है कि नहीं?" और ये सारी सुविधाएँ मुझ अबला को भी मिलनी चाहियें जो एक सबला को मिलती हैं. "हा...हा.... अच्छा है! बिना किसी खर्च के सरकार का इतना परोपकार.....वाह!".
अब मैंने सोचा कि चलो एक बार तो सरकारी बाबु से मिलके अपनी समस्या का समाधान मांगता हूँ. कड़ी धुप में ये नयी-नवेली महिला, पुरुष परिधान में अपनी फरियाद लेकर सरकारी दफ्तर गयी. "वहां क्या हुआ ये....... कहते हुए भी शर्म आती है". मुझसे ठिठोली हुई. लोगों ने कहा - "भाई जी, जब बेहेन जी बन ही गाए हैं तो इसका भी मजा ले लीजिए". मैंने मन में सोचा - "क्या मजा लूं, नासपिटों? जीवन का सारा सिस्टम बदल डाला और कहते हो मजा लूं." ये 2008-09 कि बात है. एक वो दिन था और एक आज है, करीब 1/2-2 साल हो गाए और आज भी मैं सरकारी रूप से महिला हूँ और पुरुष बनने को बेचैन हूँ. सोचा आप सब को अपनी आप-बीती सुनाऊंगा तो कुछ मन हल्का हो जाएगा. ठीक हैं! मैं महिला हूँ, मगर इसपे हंसने से क्या फायदा.
10 टिप्पणियाँ:
India sir ye chij dhurandhar.. :)
Since you are officially a woman, i hope you will understand our woes now.
Divya
PD,
sahi hai bhai.........
Divya,
No, I can't..........
Vishal....I wonder ..why not?
Sahi he ab der kis bat ka ada kam chunaw ayog ne kiya baki ka kam tum khud kr lo
सही कहा हरिकांत भाई,
लगता है अब ऐसा ही करना पड़ेगा
Sorry Divya,
But only; a female can feel the feelings or woes of female. No, other can.....
Thats true Vishal ji...I agree .
Ha ha ha shi he
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