हमारा भारतीय संविधान और संसद बहुत ही बारीकी से हमारे वातावरण पर अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव डालता है. यहाँ से किये गए निर्णय और निर्णयों पर की गयी परिचर्चा का सीधा असर एक आम आदमी के जीवन पर पड़ता है. तो ऐसी स्थिती में हमारा और शायद हमारी जनता का भी ये मानना होता है कि जो भी मनोनीत व्यक्ति संसद में जाये, जो हमारी बात वहाँ रख सके; वो और कुछ नहीं तो कम-से-कम भारत और भारतीय राजनीती का क..ख..ग.. तो जानते हो. लेकिन दुर्भाग्यवश, हमारे भारत में ऐसा कम ही होता है.
अब बात आती है, संसद के सदनों की;
राज्य सभा : राज्य सभा के सदस्यों में 12 सदस्य ऐसे होते हैं जो राष्ट्रपति द्वारा विभिन्न क्षेत्रों( कला, भाषा, विज्ञानं या समाज कल्याण) में अपने बहुमूल्य योगदान की वजह से चुने जाते हैं.
अभी, दो दिनों पहले कि बात ही ले लीजिए, मैंने रेखा जी का शपथ ग्रहण कार्यक्रम टी.वी. पर देख रहा था; तो रा.ज.द. सुप्रीमो लालू जी के विचार सुन कर बड़ा अजीब सा लगा. उनका कहना था, रेखा एक अच्छी अदाकारा हैं और उनका सांसद में होना सांसद के लिए गौरव कि बात है; वो एक अच्छी अदाकारा तो हैं ही तो एक अदाकारा का सांसद में क्या काम?
हमारे संसद में अकबर के दरबार की तरह नौ-रत्न, जमा करने कि जरुरत संविधान को क्यूँ पड़ी. ये 12 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य, संसद के क्रिया-कलाप में कोई भी सक्रिय भूमिका नहीं निभाते हैं. मगर, कहने को तो सांसद कहे जाते हैं. मैं यहाँ कुछ एक ऐसे संसादों का जिक्र करना चाहूँगा.....
1] लाता मंगेशकर जी
2] जावेद अख्तर साहब
3] राज बब्बर साहब
4] जाया भादुड़ी जी
5] स्मृति ईरानी जी
6] रेखा गणेशन जी (नव-मनोनीत)
7] जाया प्रदा जी
8] गोविंदा जी
9] चिरंजीवी जी
जी, मैं जनता हूँ कि ये सारे महामहिम राष्ट्रपति जी द्वारा मनोनीत नहीं हुए हैं. मगर हैं तो कला जगत के ही. और जहाँ तक मेरी समझ है ये सभी राज्यसभा के ही सदस्य हैं तथा भारतीय राजनीती के श्रोता हैं जो बस सांसद में बैठ कर, वहां होने वाली परिचर्चाओं का लुफ्त उठाने कभी कभार सांसद में दिख जाते हैं. अरे! इनकी जगह, अगर अमर्त्य सेन जी को राज्य-सभा में सम्मिलित किया होता तो कहीं कुछ फायदा होता.
मैं एक स्वतन्त्र देशा का निष्पक्ष नागरिक होने के नाते ये जानने का इक्षुक हूँ कि क्या इन नौ-रत्नों से देश कि जनता जनता कुछ अपेक्षा रख सकती है? क्या हमारे सांसद, हमारी संसद को रंग-मंच समझते हैं? जहाँ ये नेता अपना मनोरंजन कर सकें? खैर, इसी लिए तो कहते हैं.... मेरा भारत महान..