रेल मंत्री ममता बनर्जी द्वारा कोलकाता से अपने मंत्रालय का काम काज चलाने को जायज ठहराने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। भाजपा ने उनकी कड़ी आलोचना करते हुए मंगलवार को कहा कि यह मामला संप्रग सरकार के मंत्रियों की अनुशासनहीनता और प्रधानमंत्री का उन पर नियंत्रण नहीं होने का सूचक है। जबकि कांग्रेस ममता के बचाव में उतर आई है और उसने रेल मंत्री की कार्यशैली को सही ठहराया है। आगामी नगर निकाय चुनावों के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों का प्रचार करते हुए सोमवार रात एक सार्वजनिक सभा में ममता ने कहा, दिल्ली मेरा घर नहीं है। जब संसद का सत्र नहीं चल रहा है तो दिल्ली में मुझे क्यों ठहरना चाहिए ? कोलकाता मेरा घर है। वह आए दिन चुनावी सभाओं में भाजपा को माकपा की बी टीम बता रही हैं। इससे भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ रही है। ममता को कोलकाता नगर निगम समेत 81 पालिकाओं में भाजपा की मौजूदगी सुहा नहीं रही है। प्रदेश भाजपा के महासचिव शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि कभी ममता कांग्रेस को माकपा की बी टीम कहती थीं। यदि बंगाल में इन्हीं बयानों से परिवर्तन आना है तो आमलोगों को अभी से सचेत रहने की जरूरत है। भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने नई दिल्ली संवाददाताओं से कहा, संप्रग के कुछ मंत्रियों का आचरण ऐसा है कि वे संसद के प्रति जवाबदेह नहीं हैं। वे दिल्ली से 1500 या 1000 किलोमीटर दूर से अपने मंत्रालय चला रहे हैं और संसद सत्र के दौरान अपने मंत्रालयों से संबंधित सवालों का जवाब देने तक के लिए उपस्थित नहीं रहते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ मंत्री ऐसे भी हैं जो दूसरे मंत्रियों के काम काज पर लगातार टिप्पणियां करते रहते हैं तो कुछ दूसरे देश की भूमि से अन्य मंत्रालयों के रुख की आलोचना करते हैं। जेटली ने कहा कि यह सब दर्शाता है कि एक ओर संप्रग के कुछ मंत्री अनुशासनहीन हैं और प्रधानमंत्री उन्हें अनुशासित करने में सक्षम नहीं हैं। जबकि कांग्रेस ने कहा कि वह अपने मंत्रालय की अनदेखी नहीं कर रही हैं। पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यहां संवाददाताओं से कहा, वह एक हद तक सही हैं। वह कोलकाता से सांसद हैं और पश्चिम बंगाल की नेता हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वह अपने मंत्रालय की अनदेखी कर रही हैं।
द्वारा दैनिक जागरण
हमारे देश के मंत्रियों में से एक ममता बनर्जी, जिनको देश से ज्यादा खुद कि पड़ी है. ये मंत्री पद सँभालने और जनता का पैसा दबाने में सबसे आगे होते हैं मगर बस कम-काज करने में सबसे पीछे. और कांग्रेस का क्या है, जब प्रधान मंत्री ही प्रधान मंत्री कि तरह नहीं है तो औरों कि क्या कहें !!!
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